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- भस्म आरती: मस्तक पर भांग, चन्दन, रजत चंद्र और आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
तुलसी और मोगरे की माला पहनकर सजे बाबा महाकाल, भस्मारती में मस्तक पर बनाया त्रिशूल
सार
विस्तार
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शुक्रवार तड़के भस्म आरती के दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट, मुंड माला धारण करवाई गई।
आज के श्रृंगार की विशेष बात यह रही कि अष्टमी तिथि व शुक्रवार के संयोग पर भस्मआरती में बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। भगवान शिव के मस्तक पर त्रिशूल बनाया गया, उन्हें तुलसी और मोगरे की माला अर्पित की गई। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय बाबा महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।
भक्त ने व्हीलचेयर दान की
श्री महाकालेश्वर मंदिर में पुरोहित दीपक शर्मा की प्रेरणा से राजस्थान बीकानेर से आए पवन कुमार जोशी द्वारा 5 नग व्हीलचेयर दान की गईं। जिसे मंदिर प्रबंध समिति की ओर से सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल द्वारा प्राप्त कर रसीद प्रदान की गई। ज्ञातव्य है कि मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दिव्यंगों- वृद्धजनों के दर्शन के लिए निशुल्क के दर्शन सुविधा प्रदान की जाती है। शासकीय अनुदेशकों के अनुरूप दिव्यांग जन के सुलभ दर्शन के लिए पूरे दर्शन मार्ग को दिव्यांग जन अनुकूल बनाया गया है।